योगी को कभी नहीं थी ‘राजपाट’ की कामना, ऐसी है उनकी दिनचर्या

योगी आदित्‍यनाथ गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के महंत हैं. घर त्‍याग चुके हैं. मंदिर प्रबंधन की ओर से दी गई एक जानकारी में उनके जीवन का मकसद बताया गया है कि योगी न तो राजपाट की कामना करते हैं और न ही मोक्ष की.
इसमें कहा गया है कि उनके जीवन का उद्देश्य ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्... है.
इसका अर्थ ये है कि ‘हे प्रभु! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूं. मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता­. मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूं.’
लेकिन अब उन्‍हें इतने बड़े सूबे की सत्‍ता मिल गई है. योगी आदित्‍यनाथ को नजदीक से जानने वाले गोरखपुर के वरिष्‍ठ पत्रकार टीपी शाही कहते हैं योगी गोरखनाथ मंदिर में बनने वाले भंडारे से ही भोजन लेते हैं. उनके लिए कोई अलग इंतजाम नहीं होता.
वह सुबह करीब साढ़े तीन बजे उठते हैं और रात को 11 बजे बजे तक जनता के काम में जुटे रहते हैं. सुबह पूजा-पाठ और योग करने के बाद वह मंदिर की व्‍यवस्‍था देखते और गोशाला जाते हैं. सुबह 9 बजे से उनका दरबार लग जाता है. वहां हिंदू-मुस्‍लिम सभी अपनी समस्‍या उनके सामने आते हैं.
फरियादियों के पत्र टाइप करने का काम दो लोग सुबह 8:00 बजे से ही शुरू कर देते हैं. जरूरत के हिसाब से वह पत्र लिखकर और अधिकारियों को फोन कर वह लोगों की समस्‍याओं का निदान करवाते हैं.

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